हिन्दी दिवस प्रत्येक वर्ष 14 सितम्बर को मनाया जाता है। और प्रत्येक वर्ष 10 जनवरी को विश्व हिन्दी दिवस मनाया जाता है। सत्र 1949 से हिन्दी दिवस मनाना शुरू हुआ । 14 सितम्बर 1949 को भारत के संविधान सभा ने हिन्दी को राजभाषा का दर्जा दिया । तब से हिन्दी भाषा के प्रचार प्रसार के लिए 14 सितम्बर को हिन्दी दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।
भारत की संविधान सभा ने 14 सितम्बर 1949 को भारत गणराज्य की अधिकारित राजभाषा के रूप में हिन्दी को अपनाया गया। यह हर भारतीय के लिए बहुत ही गर्व की बात थी । जब भारतीय संविधान ने हिन्दी को राजभाषा के रूप में अपनाया था इस दिन भारत के राष्ट्रपति के द्वारा नई दिल्ली के विज्ञान भवन में हिन्दी से संबन्धित क्षेत्रों में अच्छे काम करने वाले लोगों के लिए पुरस्कार दिये जाते हैं।
राजभाषा पुरस्कार विभागों , मंत्रालयों , और राष्ट्रीयकृत बैंकों को दिये जाते हैं। मिलने वाले दो पुरस्कार का नाम बादल दिया गया।
हिन्दी भाषा को महत्व देने का एक दिन है क्यों कि इस देश में अंग्रेजी बोलने वालों को बहुत ज्यादा समझदार समझा जाता है।
हिन्दी दिवस हमारी राजभाषा के साथ- साथ हमारी संकृत को भी महत्व देने के लिए एक अच्छा कदम है । यह युवायों को उनकी जड़ों को याद दिलाता है।
पहला हिन्दी दिवस 1953 में मनाया गया था क्यों कि आज़ादी के बाद 14 सितम्बर 1949 को संविधान सभा ने हिन्दी को देश की राजभाषा बनाने के फैसला किया था। क्योकि उस समय सरकार का ज़्यादा तर काम अंग्रेजी में होते थे।
एक बार गांधी जी ने 1918 मे हिन्दी साहित्य सम्मेलन में हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने को कहा था। और इसे गांधी जी ने जनमानस की भाषा भी कहा।
स्वतंत्र भारत की राजभाषा को 14 सितम्बर 1949 को काफी विचार-विमर्श करके यह फैसला किया गया की भारतीय संविधान के भाग-१७ के अनुच्क्षेद-३४३(१) में रखा गया है।
संघ की राष्ट्र भाषा- हिन्दी
और लिपी- देवनागरी होगी।
संघ के राजकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग होने वाले अंको का रूप अंतराष्ट्रीय रूप होगा।
14 सितंबर जो हिन्दी के मूर्धन्य साहित्यकार व्योहार राजेंद्र सिन्हा का 50 वां जन्मदिन था। और इस दिन यह फैसला भी किया गया था। इसीलिए हिन्दी दिवस के इस दिन को सबसे अच्छा माना गया है।
भारत एक ऐसा देश है जहाँ बहुत सी भाषाएँ बोली जाती हैं। जहां हिन्दी दुनियाँ की तीसरी सबसे बड़ी भाषा है।